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जनता दरबार में गिरी गाज, मोतिहारी SP ने पॉक्सो केस में 10 पुलिसकर्मी किए सस्पेंड
- Reporter 12
- 25 Dec, 2025
मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में पुलिसिंग को जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने जनता दरबार के दौरान एक अनुसंधान पदाधिकारी को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई एक पॉक्सो एक्ट के मामले में लंबित जांच और किसी भी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं होने पर की गई।
जनता दरबार में सामने आई लापरवाही
रक्सौल थाना परिसर में आयोजित जनता दरबार में पीड़ित पक्ष ने एसपी के समक्ष शिकायत रखी कि अगस्त महीने में दर्ज पॉक्सो एक्ट के मामले में अब तक न तो आरोपी की गिरफ्तारी हुई है और न ही न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए वारंट लिया गया। शिकायत सुनते ही एसपी ने संबंधित केस डायरी तलब की और मौके पर ही जांच की।
तत्काल निलंबन का आदेश
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि अनुसंधान पदाधिकारी सीमा कुमारी ने मामले में गंभीर लापरवाही बरती है। इसके बाद एसपी स्वर्ण प्रभात ने बिना देर किए उन्हें निलंबित करने का आदेश दे दिया। इस फैसले से जनता दरबार में मौजूद लोगों को यह संदेश गया कि पुलिस अब ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करेगी।
बच्चों से जुड़े मामलों में सख्ती
एसपी ने कहा कि पॉक्सो जैसे संवेदनशील मामलों में जांच की गति और गंभीरता सर्वोपरि है। बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा कोई भी मामला अगर लंबित रहता है तो इसके लिए सीधे जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई होगी। उन्होंने सभी अनुसंधान पदाधिकारियों को चेतावनी दी कि जांच में सुस्ती या लापरवाही सामने आने पर कठोर कदम उठाए जाएंगे।
भूमि विवाद की शिकायतें सबसे अधिक
जनता दरबार में कुल 72 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें अधिकांश मामले भूमि विवाद से जुड़े थे। पारिवारिक बंटवारा, रास्ता विवाद, अवैध कब्जा, सीमांकन और पुराने मुकदमों से जुड़े मामलों पर एसपी ने संबंधित थानाध्यक्षों को निष्पक्ष जांच और समयबद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए।
कई मामलों में ऑन-द-स्पॉट निर्देश
रक्सौल, आदापुर, हरैया, रामगढ़वा और पलनवा थाना क्षेत्रों से पहुंचे फरियादियों की समस्याओं को गंभीरता से सुना गया। कुछ मामलों में मौके पर ही समाधान के निर्देश दिए गए, जबकि अन्य मामलों में 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया।
जनता दरबार से बढ़ा विश्वास
लगातार आयोजित हो रहे जनता दरबार से आम लोगों में पुलिस के प्रति भरोसा बढ़ा है। फरियादियों का कहना है कि अब उन्हें उम्मीद है कि उनकी शिकायतें फाइलों में दबने के बजाय कार्रवाई तक पहुंचेंगी।
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